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Sunday, August 22, 2010

Fir wahi Ansh

फिर वही अंश की चाह !!!!

कुछ खोए से , कुछ गम सुम से ,
हमने सारे वोह गम थे सहे .
नम सी यह आंखे , जैसे सूखी मरू धरा ,
अस्खो से भिगोना चाहे हम , जैसे माली का कोई वन हरा.
उस खोये मधुर अंश की चाह , एक कारन ! ,
फिर इस दो राहे पे,  हम खड़े निराश.



ना चल पते , ना दौड़ , कदम  उठाते  किस ओर ....!
इस दोराहे पे , जैसे हम किचे जा रहे , विपरीत दिशाओ की ओर .
कोई साथी , कोई दोस्त , मिल जाये हमें , यह सोचते हम ,
सुर्ख आँखों से कही दूर तक खोजते उनके कदम 
लेकिन आज शायद हम , अकेले , अकेले ही खड़े है 
इस रेगिस्तान में  ,जहा सिर्फ धूल और गम के धोरे है.

दिन गुजरा  , शाम ने दी दस्तक 
थके हारे हम हुए , अनंत आकाश के तले नदमस्तक.
सोच रहे है , काश हमारे खोए अंशो का मेला फिर लगता,
नट  के तमाशे से ,रंगीन बिजलियों से ,वो फिर चमकता .
दोस्तों के साथ बैठे हम , फिर १०० बातें करते,
ऐसे ही कट जाते हमारी , तारे निहारते वह रातें .


एक अदने इंसान का वोह सपनो का वंश ,
कहे सपनो में ही रह गए उसके सारे अंश .
लाखों मजबूरिया , अनगिनत त्यागे की जय माला लिए.
जीवन में कई बार अपने अस्तित्व को त्यागे हुए ,
सब को कुश रखने के , निरंतर प्रयतन उसने किये .


आज हमें  हो रहा एक ऐसा एहसास ,
जैसे दुनिया कर रही हो हमपे अट्टहास.
मगर सोचते यह , छलक गयी वोह आंखे , नउम,
क्या सबको खुश करने के  प्रयतन  थे हमसे कम.
जीवन इस दोराहे पे , मात्र एक मजाक से अवगत कराता हैं ,
जैसे हारे हुए सिपाही व् लान्चान्वित  नारी के अश्क उसके घनघोर दर्द  का साक्षात्कार करवाता हैं .


यह जीवन सिर्फ एक दौड़ नहीं , दौड़ नहीं जिसे हम जीत पाते.....
यह एक सफ़र है , जिसे हम सिर्फ अंशो से संजोते हैं. 
यह अंश हमे फिर ले जाते है नए अंशो की और ,
जोड़ते धागे , बनाते एक अंशो की डोर.
एक बार फिर हासिल करने , वोह अनंत गगन ,,
भर उड़ान वोह चल पड़ा एक नए अंश की ओर, लिए फ़कीर की दुआ का विशवास ,
उन्ही कुछ खोए , कुछ नए अंशो , उस वंश की ओर जहाँ  सिर्फ खुशियाँ करती आवास.


                                                                                 उस अंश की तलाश में  : S.D.

P.S the prequel of the three part poem would be posted soon ,  keep looking this space for that "अंश" 


Image courtesy:
http://www.spiritualzen.net/2008/12/life-is-not-a-search-for-happiness/
http://vinni.co.in/2008/04/into-the-wild/
http://picturepost.wordpress.com/2008/01/
http://www.successandhappiness.net/

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